जो मैं होता शहंशाह तो मेरा भी हरम होता|
दीदार-ए-हुस्न को हर रोज़ इक सनम होता|
मुझको शिकायत नहीं कि दर्द हिस्से आया,
उसे भी देता तो इस दर्द का असर कम होता|
हरचंद कोशिश की पर अंजाम सिफ़र निकला,
महबूब तो तब होता जब ये लहज़ा नरम होता|
घुटकर मरते हैं हम जब भी डी.बी. जाते हैं,
दीदार-ए-हुस्न को हर रोज़ इक सनम होता|
मुझको शिकायत नहीं कि दर्द हिस्से आया,
उसे भी देता तो इस दर्द का असर कम होता|
हरचंद कोशिश की पर अंजाम सिफ़र निकला,
महबूब तो तब होता जब ये लहज़ा नरम होता|
घुटकर मरते हैं हम जब भी डी.बी. जाते हैं,
ए खुदा तेरा मुझपर थोडा तो करम होता|
मसला है, कि लम्बी उमर बितानी है अभी,
मैं कुछ नहीं कहता गर राहिए अदम होता|
~ललित किशोर गौतम
मसला है, कि लम्बी उमर बितानी है अभी,
मैं कुछ नहीं कहता गर राहिए अदम होता|
~ललित किशोर गौतम
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