तुमने जबसे कहा, तुमसे वो बेगाना अच्छा/
हमें लगता है इससे तो मर जाना अच्छा/
बड़े खुश थे उस वक़्त जब रक़ीब बने बैठे थे,
तब लगता था तुम्हारे हाथ का ज़हर भी अच्छा/
बड़ा नाज़ था इस अक्ल-ए-फलातूं पर हमको,
मजबूर थे हम,
था दरअसल शब-ए-वस्ल का तमाशा ही अच्छा/
पूछते हैं मेरे यार तब कहाँ ग़ाफिल था मैं,
मैंने कहा,
था जुंबिश-ए-लबों का वो नज़ारा अच्छा/
भूलने को ग़म, थाम ली कलम, बजाये शराब के,
है रक़ीब बनने से, बनना अदीब का अच्छा/
अब नहीं चैन मुझे इस जन्नती आरामगाह में,
मुझे लगता है इस बियाबाँ में भटकना अच्छा/
हमें लगता है इससे तो मर जाना अच्छा/
बड़े खुश थे उस वक़्त जब रक़ीब बने बैठे थे,
तब लगता था तुम्हारे हाथ का ज़हर भी अच्छा/
बड़ा नाज़ था इस अक्ल-ए-फलातूं पर हमको,
मजबूर थे हम,
था दरअसल शब-ए-वस्ल का तमाशा ही अच्छा/
पूछते हैं मेरे यार तब कहाँ ग़ाफिल था मैं,
मैंने कहा,
था जुंबिश-ए-लबों का वो नज़ारा अच्छा/
भूलने को ग़म, थाम ली कलम, बजाये शराब के,
है रक़ीब बनने से, बनना अदीब का अच्छा/
अब नहीं चैन मुझे इस जन्नती आरामगाह में,
मुझे लगता है इस बियाबाँ में भटकना अच्छा/