सब सूखे फूल माली नईं|
क्या देश में कोई सवाली नईं|
बाप ने की जूतमपैजार,
दुआ है वो गाली नईं|
सन्डे घूमो डीबी तुम,
बाद कहो हरियाली नईं|
फ़साने इश्क़ में गढ़ते हम,
क्या देश में कोई सवाली नईं|
बाप ने की जूतमपैजार,
दुआ है वो गाली नईं|
सन्डे घूमो डीबी तुम,
बाद कहो हरियाली नईं|
फ़साने इश्क़ में गढ़ते हम,
पर मंजूर बटुआ खाली नईं|
पर्दों के पैबंद हटाते हैं,
यों मिलतीं हमको ताली नईं|
~ललित किशोर गौतम
पर्दों के पैबंद हटाते हैं,
यों मिलतीं हमको ताली नईं|
~ललित किशोर गौतम
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