Monday, August 6, 2012

सब सूखे फूल माली नईं|
क्या देश में कोई सवाली नईं|


बाप ने की जूतमपैजार,
दुआ है वो गाली नईं|


सन्डे घूमो डीबी तुम,
बाद कहो हरियाली नईं|


फ़साने इश्क़ में गढ़ते हम,
पर मंजूर बटुआ खाली नईं|


पर्दों के पैबंद हटाते हैं,
यों मिलतीं हमको ताली नईं|


~ललित किशोर गौतम

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