Monday, August 6, 2012

चाहता हूँ लिखना पर शब्द नहीं हैं

चाहता हूँ लिखना पर शब्द नहीं हैं|

प्रेम के एहसास को, ख़त किसी ख़ास को,
फसलों में हुए ह्रास को, जेठमासे की प्यास को,
अमिया की खटास को, गन्ने की मिठास को,
बाद हरसूद नाश के मकान की तलाश को,

चाहता हूँ लिखना पर शब्द नहीं हैं|

सागर के ज्वार को, प्यार के इक़रार को,
स्त्री के श्रंगार को, दंपत्ति की तकरार को,
मेहनती लौहार को, उस करकराते द्वार को,
विरह में प्रेमिका के प्रेमी बेक़रार को,

चाहता हूँ लिखना पर शब्द नहीं हैं|

मंद मंद समीर को, उठ चुके ख़मीर को,
स्पंदनहीन शरीर को, मर चुके ज़मीर को,
ख़यालमग्न मीर को, उजड़ चुके कुटीर को,
टूट चुके स्टैंड से बनती उस लकीर को,

चाहता हूँ लिखना पर शब्द नहीं हैं|
 
~ललित किशोर गौतम

No comments:

Post a Comment