किताब की जिल्द से उसकी गहराई समझते हैं|
इन बातों को वो हमारी बढाई चढ़ाई समझते हैं|
करते हैं मशहूर ही हमें गलतबयानी करके,
और वो हैं कि इसे हमारी रुसवाई समझते हैं|
दूरियां ज़रूरी हैं दरम्याँ यहाँ सांपों का डर है,
ये खूबियाँ हैं हमारी आप बुराई समझते हैं|
हमें किसी रियासत में पला ज़ौक़ न समझना,
इन बातों को वो हमारी बढाई चढ़ाई समझते हैं|
करते हैं मशहूर ही हमें गलतबयानी करके,
और वो हैं कि इसे हमारी रुसवाई समझते हैं|
दूरियां ज़रूरी हैं दरम्याँ यहाँ सांपों का डर है,
ये खूबियाँ हैं हमारी आप बुराई समझते हैं|
हमें किसी रियासत में पला ज़ौक़ न समझना,
ग़ालिब की तरह ज़माने की सच्चाई समझते हैं|
-ललित किशोर गौतम
-ललित किशोर गौतम
No comments:
Post a Comment